पर्यूषण पर्व समापन पर श्री जीकी भव्य शोभायात्रा
दमोह। दिगंबर जैन समाज के पर्यूषण पर्व के समापन पर परंपरा अनुसार नगर में श्री जी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान कोरोना गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए जैन स्कूल के समीप मुख्य मार्ग पर होने वाली श्री जी के अभिषेक शांतिधारा के आयोजन को नहीं किया गया वहीं यह आयोजन जैन धर्मशाला प्रांगण में आर्यिका रत्न सकल मति माता जी के सानिध्य में संपन्न हुआ।दस दिवसीय जैन पर्यूषण पर्व के समापन अवसर पर सोमवार को सिटी नल से चांदी के भव्य विमान जी में रजत पांडुक शिला पर श्रीजी को विराजित करके भव्य शोभायात्रा निकाली गई। पुराना थाना टॉकीज तिराहा सिनेमा रोड होते हुए बकोली चौराहा पहुंचने पर शोभा यत्रा का स्वागत विधायक अजय टंडन जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनु मिश्रा एवं उनकी टीम के द्वारा किया गया।
घंटाघर से राय चौराहा, नसिया जी, जैन स्कूल, पलंदी चौराहा, आशीर्वाद गार्डन होते हुए शोभायात्रा वापस घंटाघर पहुंची। यहां से नया बाजार पलंदी मंदिर धगट चौराहा होते हुए विमान जी जैन धर्मशाला पहुंचा। इस दौरान रास्ते में जगह जगह रंगोली सजाकर आरती उतार कर शोभा यात्रा के साथ श्रीजी की अगवानी की गई।
शोभायात्रा में सबसे आगे धर्म ध्वजा लिए अश्व सवार चल रहे थे। बालिका तथा बालक मंडल द्वारा बजाए जा रहे दिव्य घोष की गूंज के साथ भजन एवं स्तुति पूरे माहौल को धर्म मय बनाए हुए थी। जैन धर्मशाला में श्री जी का अभिषेक शांतिधारा पूजन संपन्न हुआ इस अवसर पर आर्यिकाश्री सकल मति माताजी के मंगल प्रवचन का लाभ भी सभी को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर सकल दिगंबर जैन समाज के लोगों की मौजूदगी रही वही सभी ने एक दूसरे से उत्तम क्षमा कहकर वर्ष भर में की गई गलतियों के लिए क्षमा याचना की। आयोजन की सफलता के लिए विमान जी कमेटी के द्वारा सभी का आभार माना गया।
श्री जी का विमान निकला, जैन वेदी पर हुई धर्मसभा
हटा, दमोह। दशलक्षण धर्म पर्व के समापन पर श्री जी की शोभायात्रा विमान में निकाली गई, जो श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बडा मंदिर से प्रारंभ होकर बजरिया होते हुए बाजार जैन वेदी के पास पहुंची जहां परम्परानुसार ध्वजारोहण किया, श्रीजी का अभिषेक हुआ, शांतिधारा हुई, बालिका शिविर के समापन अवसर पर मनीष, आशीष रिंकू के द्वारा बालिकाओं को स्मृति चिन्ह भेंट किये गये, जिनने तत्वार्थ सूत्र का वाचन किया उन बालको का शिखरचंद आशीष जैन ने सम्मानित किया गया।
जैन वेदी पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए आर्यिका रत्न श्री गुणमति माता जी ने पर्युषण पर्व के समापन अवसर पर कहा कि सुख और दुख दोनों भाई है जो सदैव आते जाते रहते है, जिन्दगी में सुख के दिन आराम से कट जाते है लेकिन जब गम ठहरने लगता है तो मानव विचलित, तनावग्रस्त हो जाता है, तरक्की में रूकावट पैदा कर देता है, गम दुख के समय मानव को अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए, अपने दुखडा कभी किसी को नहीं बताना चहिए क्योकि लोग तो उसका मजाक उडाते है, दुख रूपी जख्म में नमक छिडकते है, दुखडा व्यक्त करना है तो ऐसे व्यक्ति के सामने व्यक्त करना जो भगवान का फरिश्ता बनकर आपकी मदद करे।
आर्यिका रत्न श्री ने कहा कि सदैव गम सहकर मुस्कराना सीखो, क्योकि मुस्कराहट वह लिबास है जो सदैव फैशन में रहता है, यह बात आज बडा बाजार में कही, आर्यिका श्री ने युवाओ सहित सभी से आव्हान किया कि जिन्दगी में कितना भी बडा कष्ट आये, दुख तुम्हे विचलित कर दे लेकिन आत्महत्या जैसे कदम मत उठाना, संतो के पास चले जाना उनके साथ रहना, जिन्दगी की जंग हार मानकर लडकर जीती जाती है।
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