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कोई भी परेशानी हो तब भी परिवार का साथ देना चाहिए, आधुनिकता में परम्‍परा, संस्‍कृति को मत भूलों.. श्री बागेश्‍वर धाम सरकार.. हटा के गौरी शंकर मंदिर प्रांगण में कथा रस पान के दौरान.. एक साथ हजारों लोगों ने हाथ उठाकर शराब के त्याग का संकल्प लिया..

 हजारों लोगों ने एक साथ मदिरा से तौबा किया

हटा, दमोह। ब्रज में गोपियों ने इन्द्रियों पर विजय पाकर ब्रम्‍हानंद रसपान किया तो उन्‍हे माधव का संग मिला, गोपियांबांसुरी की धुन पर चली आती थी, तो कान्‍हा उनके आने का कारण पूछती, ब्रज की गोपियां कोई और नहीं देवी देवता ही अपना रूप बदलकर कृष्‍ण के साथ रास रचाती थी, वे भगवान  के नाम का रसपान करती और माधव की भक्ति में ही अपना पूरा ध्‍यान रखती है, लेकिन आज का युवा जाम में मस्‍त है जो उसका शरीर ही नहीं परिवार को तोड रहा है, आज पंडाल में बैठे सभी जन यह संकल्‍प ले कि आज से अभी से मदिरा पान नहीं करेगें, जिन्‍हे यह बात स्‍वीकार हो हाथ खडे करके समर्थन करे।


 तो हजारों हाथ एक साथ उठ गये, यह सब देवश्री गौरीशंकर मंदिर परिसर में श्री बागेश्‍वर धाम सरकार ने कथा के बीच में कही, उन्‍होने कहा कि माधव नाम से ही उद्धार होगा न कि मदिरापान से, ब्रज के लोगों का जो स्‍नेह माधव के प्रति रहा वही आज इस भागवत कथा में दिखाई दे रहा है, श्री सरकार ने कहा कि गोपियां धर्म का पालन करने वाली थी, स्‍त्रीयों का भी धर्म है कि वे अपने पति को छोडकर पर पुरूष के साथ न जाये, घर परिवार यदि गरीबी, रोग बीमारी हो,


किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो भी परिवार का साथ देना चाहिए, रामायण में भी इसका उल्‍लेख है कि जहाँ  सुमति  तहाँ सम्पति नाना; जहाँ कुमति तहाँ बिपति निदाना. जिस  घर  में  आपसी  प्रेम  और  सदभाव  होता  है  वहां सारे सुख और संपत्ति होती है और  जहाँ  आपस  में  द्वेष  और  वैमनष्य  होता  है  उस घर  के वासी दुख व विपन्नता रहती है जहाँ माता पिता अपनी संतानों को बोझ  समझते हैं वह संतानें भी समय आनेपर अपने माता पिता से दुर्व्यवहार करती है और उन्हें दाने दाने को मोहताज कर देती है।

श्री सरकार ने कहा कि आधुनिकता की दौड में आज लोग ऐसे भूले हुए है कि वे अपनी परम्‍परा, संस्‍कृति, धर्म को भी भूलते जा रहे है, अब रसोई में बिना स्‍नान और चप्‍पल पहनकर प्रवेश कर रहे है, रसोई में जूठन फैली रहती वही भगवान का भोग बन रहा, यह मत भूल कि आज तुम जो भी हो गुरू कृपा, भगवत कृपा, माधव कृपा से हो,पण्‍डाल में बैठे उस समय भावुक हो उठे जब उन्‍होने कान्‍हा के  ब्रज से मथुरा जाने का दृष्‍टांत सुनाया, वही रोहणी विवाह की कथा सुनने सभी खुशी से झूम उठे, कथा का श्रवण करने बडी संख्‍या में भक्‍त उपस्थित रहे।

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