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ज्येष्ठ श्रेष्ठ निर्यापक मुनिश्री समय सागर जी महाराज की सासंघ मगंल अगवानी आज.. आचार्य श्री विद्यासागर जी पर डाकतार विभाग ने विशेष आवरण जारी की.. गौरव गाथा बड़े बाबा और छोटे बाबा पर नाट्य मंचन.. कुण्डलपुरी साड़ी का लोकार्पण, छायेगी विश्व पटल पर..

मुनिश्री समय सागर जी की सासंघ अगवानी आज

 दमोह। ज्येष्ठ श्रेष्ठ निर्यापक मुनिश्री समय सागर जी महाराज का पंच कल्याणक महामहोत्सव सम्पन्न होने के साथ ही पद विहार कुण्डलपुर से हुआ, शनिवार को सुबह देवडोंगरा से पदविहार  हिंडोरिया हुआ संत भवन में आहार चर्या उपरांत दमोह की ओर विहार हुआ, आज रात्रि विश्राम आमखेड़ा में होगा, रविवार की सुबह दमोह नगर में मंगल प्रवेश होगा। 

 जैन पंचायत अध्यक्ष सुधीर सिंघई, औषधालय कमेटी अध्यक्ष चौधरी रूप चंद जैन, समाजसेवी रतन चंद जैन घाट पिपरिया, नरेन्द्र बजाज सांसद प्रतिनिधि सभी महामहोत्सव समिति प्रभारियों, महिला मंडल, बालिका मंडल, सहित धर्म प्रेमी जनों से सुबह 7:30 बजे धरमपुरा नाका पहुंचकर अगवानी  में शामिल होकर धर्म लाभ प्राप्त करने की अपील की है। धर्म सभा और आहार चर्या नन्हे मंदिर में होगी।

सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर में इस सदी के सबसे बड़े महामहोत्सव के सम्पन्न हुआ, बड़े बाबा के मस्तकाभिषेक के लिए हजारों श्रद्धालुओं आ रहे हैं, जो महामस्तकाभिषेक, पूजन, शान्ति धारा, संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के अमृत वचन और आर्शीवाद का लाभ प्राप्त कर रहें हैं, आचार्य श्री को शनिवार को नवधा भक्तिपूर्वक पूजन करके आहार देने का सौभाग्य ब्रा तरुण भैया इंदौर निवासी परिवार को प्राप्त हुआ। रविवार को देवाधिदेव भगवान मुनिसुब्रतनाथ का पूजन और मोक्ष कल्याणक पर्व मनाया जाएगा। 

विशेष आवरण (लिफाफा) एवं विशेष मुहर जारी 

कुंडलपुर मे परमपूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं विशाल मुनि संघ, आर्यिका संघ, ऐलक संघ, क्षुल्लक संघ और सहस्राधिक बाल बह्मचारिणी बहने, बाल बह्मचारी भाईयो के सानिध्य मे तथा पंच शतक विद्धानों के मध्य इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स ने 22 नबम्बर को आचार्य श्री विद्यासागर जी के देश के 12 राज्यों के 125 शहरों से उप डाकतार विभाग ने विशेष आवरण (लिफाफा) एवं विशेष मुहर (सील) जारी की गई

इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड मे इस बात के लिए दर्ज किया गया कि ये किसी धार्मिक व्यक्ति विशेष पर एक साथ इतने अधिक स्थानों से भिन्न भिन्न डिजाइन मे डाक विभाग द्वारा प्रथम बार निकाले गए है, दिल्ली से पधारे इंडिया बुक आंफ रिकार्ड के अधिकारी आनंद जी वेदांत ने आयुर्वेद महाविद्यालय के अध्येता ब्र. मनीष जैन एवं ब्र.अंकुर जैन को सर्टीफिकेट, मेडल, रिकार्ड बुक समर्पित की द्य इस कार्यक्रम को संयोजित करने मे पीयूष जैन भीलवाड़ा, मनन जैन देवली टोंक, श्रीमति अमिता कटारिया अहमदाबाद, सागरजी अहमदाबाद, अमित जैन शास्त्री जबलपुर, प्रदीप जी एच बी जबलपुर का सहयोग रहा।

कुण्डलपुरी साड़ी छायेगी विश्व पटल पर

 दमोह। कुण्डलपुर महामहोत्सव 2022 में मंदिर की वास्तुकला, पर्वत श्रृंखला से प्रेरणा लेकर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ आर्शीवाद से प्रतिष्ठाचार्य ब्रा विनय भैया के निर्देशन हाथ करघा केन्द्र कुण्डलपुर द्वारा निर्मित की गई साड़ी का लोकार्पण समाजसेवी अशोक पाटनी, क्षेत्र कमेटी अध्यक्ष संतोष सिंघई, प्रभातजी मुंबई, राजाभाई, सावन सिंघई, संजय मैक्स के द्वारा किया गया। मध्य प्रदेश में अभी तक माहेश्वरी साड़ी, चंदेरी साड़ी की तरह अब कुण्डलपुरी साड़ी भी अपनी पहचान बनाएगी। कुण्डलपुर के हथकरघा केन्द्र से150 परिवारों को रोजगार मिल रहा है, इसके निर्माण में हाथ से रंगे धागे का उपयोग किया जाता है।

डॉ सुधा मलैया द्वारा रचित निर्देशित नाट्य मंचन

दमोह एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ सुधा मलैया द्वारा रचित निर्देशित एवं अभिनीत नाटक का मंचन  पंचकल्याणक  महोत्सव में किया गया।  इस गौरव गाथा में बड़े बाबा की प्रतिमा की खोज, पहचान एवं उनके उच्च आसन  पर प्रतिष्ठित होने से जुड़े हुए कई कहे एवं अनकहे किस्सों का नाट्यांकन डॉ सुधा मलैया के उत्तम निर्देशन में एकलव्य विश्वविद्यालय के सदस्यों के द्वारा किया गया । इस गाथा में उस संकल्प को जीवंत किया जिसे आचार्य श्री सुरेंद्रकीर्ति जी ने 17 वी शताब्दी में लिया था।
इस नाट्य मंचन में संत शिरोमणि विश्व वंदनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के बीसवीं सदी में बड़े बाबा को उच्च आसन पर बिठाने के लिए एवं उनके द्वारा भव्य मंदिर निर्माण के प्रयासों को जीवंत भाव से मंच पर प्रस्तुत किया गया। इस नाटक के माध्यम से समाज की युवा पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास के बारे में जानने का अवसर मिला। इस मंचन से दर्शकों के मन में अत्यंत हर्ष एवं श्रद्धा का उद्भव हुआ। समूचे क्षेत्र में धर्म और संस्कृति के संरक्षण एवं प्रसार के लिए एकलव्य विश्वविद्यालय की  कुलाधिपति डॉक्टर सुधा मलैया के द्वारा किए गए इस अद्वितीय  प्रयास के लिए उनकी भूरि भूरि  प्रशंसा हुई।
 इस नाटक में आचार्य सुरेंद्र कीर्ति जी एवं आचार्य श्री विद्यासागर जी के पात्रों का  अभिनय क्रमशः रमाकांत त्रिपाठी और डॉ हृदय नारायण तिवारी  द्वारा किया गया। संगीत निर्देशन डॉ स्वाति गौर तथा नृत्य निर्देशन सुश्री यामिनी गेडाम व भरत भट्ट तथा भरत राय द्वारा किया गया। सह निर्देशक राजीव अयाची थे और ध्वनि रिकॉर्डिंग अजीत उज्जैनकर ने की। अन्य पात्रों के अभिनय में स्वयं डॉ सुधा मलैया वीरेश सेठ जो वास्तविक जीवन में भी उन भूमिका में थे भाग लिया इसके अतिरिक्त एकलव्य विश्वविद्यालय के नर्सिंग एवं इंजीनियरिंग महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने विभिन्न पात्रों का अभिनय किया.
इस नाटक का लगभग 172 देशों में प्रसारण किया गया, एवं विदेशो में भी डा सुधा मलैया  की इस कृति की सराहना हुई, अपनी प्रशंसा को उन्होंने अपने गुरुदेव का आशीर्वाद बताते हुए उन्ही के चरणों में समर्पित कर दिया।

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