गणाचार्य विराग सागर आज बांसा तारखेडा पहुंचेंगे
दमोह।
गणाचार्य विराग सागर जी महाराज का पथरिया की ओर विहार चल रहा है। जबलपुर
नाका जैन मंदिर से दोपहर में बिहार के उपरांत गणाचार्य संघ वैशाली नगर जैन
मंदिर पहुंचा जहां दर्शन उपरांत वसुंधरा नगर जैन मंदिर में मुनि संघ ने
दर्शन किये।
यहां से पूज्य गणाचार्य संघ सागर नाका जैन मंदिर पहुंचा। यहां
से दर्शन उपरांत बांसा के लिए विहार हो गया। रात्रि विश्राम एकलव्य
यूनिवर्सिटी में चल रहा है। सुबह बांसा तारखेडा में प्रवेश के साथ आहार
चर्या संपन्न होगी।
गुण पयर्यवद द्रव्य सत्ता का कभी भी विनाश नहीं होता है- गणाचार्य विराग सागर जी
दमोह।
परम पूज्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनिराज का संसघ अनवरत
विहार करते हुये जबलपुर नाका दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ जिनालय की सकल समाज ने
पूज्य गुरूदेव के चरणों में श्रीफल भेंट किया और प्रार्थना कि हे गुरूदेव
आमूल्य समय हम भक्तों को भी मिले तो हमारा बड़ा सौभाग्य होगा, पूज्य गुरूदेव
ने सिर्फ मुस्कुराते हुये ही अपनी अनुमति प्रदान की।
प्रातःकाल की बेला
में दीप प्रबज्ज्वलन का सौभाग्य डॉ. जे.के. जैन ने किया। प्राद
प्रक्षालन का सौभाग्य राजकुमार जैन ने प्राप्त किया। शास्त्र भेंट
गुरू के कर कमलों में प्रदान करने का सौभाग्य संयोजक विनय कुमार
मलैया ने अपनी चंचला लक्ष्मी का सदुपयोग किया। पूज्य गुरूदेव परम भक्त क्षुल्लक श्री 105 विसौम्य सागर जी के ग्रहस्त पिता श्री मान बसन्त भाटिया ने परिवार सहित चरणों में श्रीफल चढ़ाकर आर्शीवाद प्राप्त किया और सकल समाज ने बड़े धूमधाम से पूज्य गुरूदेव की पूजा-अर्चना कर अपना अहोभोग्य मानकर अपना जीवन धन्य किया।
पूज्य गुरूदेव ने अपनी अमृत वाणी से
कहा कि सत् के बिना सत्ता नहीं होती है और सत्ता के बिना सत् नहीं होता है।
वस हमारी अनादि की मूल के कारण हम सत् को पहचान नहीं पाते है हम पदार्थो
में ही हम सुख दुख का अनुभव करते हे। जबकि आचार्य भगवान उमा स्वामी ने
तत्वार्थ सूत्र में कहा है कि सत् द्रव्य लक्षणम्, उत्पाद, व्यय, धौव्य
युक्त सत् और विशेष रूप से कहा कि गुण पयर्यवद द्रव्य सत्ता का कभी भी
विनाश नहीं होता है।
पयार्य ही बडती रहती है जिस प्रकार कोई व्यक्ति सुनार
के पास कोई हार लेकर जाता है और कहता हे कि हमें कुण्डल चाहिये तब वह सुनार
उस हार को गलाकर कुण्डल का रूप देता है कुण्डल का आकार प्रदान करता है यह
पर्याय के परिवर्तित हुआ जबकि सौना ध्रौव्य के रूप में शाश्वत रहा। अर्थात
धु्रप के रूप रहा है बस यही सत्य का स्वरूप हैं। अपनी आत्मा भी शाश्स्वत है
बस उसी का आश्रय ले और अपनी आत्मा का कल्याण करे और अनत सुख के स्वामी बने
मोक्ष को प्राप्त करें। आज पूज्य गणाचार्य की आहार चर्या उनके बचपन के सहपाठी गरीबदास जैन के यहां संपन्न हुई। जबलपुर नाका मंदिर की महामंत्री सुधीर जैन विद्यार्थी परिवार द्वारा पूज्य मुनि संघ के आगमन पर आभार जताया गया।
बड़ा जैन मंदिर में आर्यिका संघ के सानिध्य में सिद्ध चक्र महामंडल विधान आज से
दमोह। अष्टानिका महापर्व की पावन बेला में श्री 1008 सिद्ध चक्र महामंडल विधान
एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन श्री देव पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर
जी में 7 से 13 जुलाई तक होने जा रहा है। आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज
के आशीर्वाद एवं उनकी शिष्य आर्यिका मृदु मति माता जी एवं निर्णय मति
माताजी के सानिध्य में विधानाचार्य पंडित सुरेश जी शास्त्री के निर्देशन
में यह आयोजन होने जा रहा है।
श्री सिद्ध चक्र मंडल महामंडल विधान
पुण्यार्जक परिवार श्रीमती शीला बाई, श्रीमती मणिकांता डॉ सुमेर चंद सिंघई,
श्रीमती बबीता लक्ष्मीचंद, श्रीमती आभा सुधीश, श्रीमती रश्मि अनिल सिंघई
एवं समस्त सिंघई परिवार जुझार द्वारा सकल जैन समाज से विधान में शामिल होकर
धर्म लाभ अर्जित करने की अपील की गई है।
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