श्रीमद्भागवत कथा का भोजन प्रसादी भंडारे से समापन
दमोह शहर के प्रोफेसर कॉलोनी सिद्धिघाम देवी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्
भागवत कथा के अंतिम दिवस में स्वामी अखंडानंद सरस्वती जी के परम कृपा पात्र
स्वामी श्री श्रवणनानद सरस्वती जी ने बताया एक मात्र मनुष्य शरीर चौरासी
लाख योनियों में ऐसा है जिसे कर्म का फल मिलता है, प्रारब्ध का फल तो
पशु-पक्षी आदि सबको मिलता है। किन्तु वर्तमान में जो कर्म संचित और
क्रियमाण बनता है वह सिद्धांत केवल मनुष्य शरीर में लागु होता है। यदि
मनुष्य शुभ कर्म अथवा पुण्य करता है तो उसे स्वर्ग आदि, सुख मिलता है।
अशास्त्रिय कर्म का फल अशांति, उद्वेग होता है। सावधानी रखनी चाहिए कि
अच्छे-अच्छे कर्म करने पर भी अभिमान होने के आशंका रहती हैं। इन्द्र को भी
अभिमान हो जाता है और भगवान के यहाँ यदि कुछ नहीं चलता तो वह अभिमान है।
भगवान जिस पर अनुग्रह करते हैं उसके अभिमान का मर्दन करते हैं। अभिमान और
कुछ नहीं अपने चारों ओर एक रेखा खींच लेना ही है और अपने को परमात्मा से
काट लेना ही है।
परमात्मा का एक नाम है कालात्मा अर्थात समय जो परिवर्तनशील
है। सबका परिवर्तन होता है किंतु परिवर्तन होने के नियम का परिवर्तन नहीं
होता है, जो परिवर्तन को स्वीकृति देता है वह परमात्मा के निकट होता है और
जो विरोध करता है वह परमात्मा से दूर हो जाता है। स्वयं पर दृष्टि नहीं
परमात्मा पर दृष्टि होनी चाहिए। जब हमारी स्वयं पर दृष्टि होती है तो
परमात्मा अंतरहित हो जाते हैं अर्थात पास रहने पर भी दिखाई नहीं देते हैं।
कलह हमारे जीवन के स्वर के लय को बिगाड़ देता है। जिस दिन ममता-अहंता दोनों
बहेंगे उस दिन परमात्मा साथ होंगे। गोपियों की ममता प्रणय गीत में बह गई
और अहंता गोपी गीत में बह गई। रास माने क्या- रस सिंधु में उठने वाली एक एक
तरंग रस रूप है, वैसे ही रास में हर एक गोपी कृष्ण रूप है, प्रतिबिंब ही
है। ज्ञान या ज्ञानी की निंदा यह भगवान की ही निन्दा है। उद्धव जी जब
वृंदावन गये तब शास्त्रज्ञ थे आत्मज्ञ नहीं थे। हृदय बिना प्रेम के सूना
है, वह रसीला भगवद् प्रेम से ही होता है। यह प्रेम मिलता कहाँ है-जिसके
हृदय में प्रेम होगा वही प्रेम दे सकेगा, ब्रज की भूमि प्रेम प्रदाता है।
ईश्वर और जीव का कभी विछोह होता ही नहीं है, केवल अलग होने की भ्रांति है।
ना बंधन है ना मोक्ष है यह केवल समझाने की शैली है। जीव सदा निर्मुक्त है,
मोक्ष स्वरूप है। दुःख की आत्यंतिक निवृत्ति यदि किसी ज्ञान से होगी तो इसी
ज्ञान से होगी जो भगवद् ज्ञान, औपनिषद ज्ञान, शास्त्र ज्ञान है।
ब्रजवासियों की वंश परंपरा में दीपावली के दूसरे दिन इन्द्र की पूजा होती
थी किन्तु हमारे श्रीकृष्ण ने निहारा कि इन्द्र को अभिमान हो गया है।
इन्द्र के अभिमान का दमन करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी पूजा निषेध
कराकर श्रीगिरिराजजी की पूजा करवायी। अंतःकरण में चाहे काम क्रोध लोभ मोह
हो और व्यक्ति भगवान की ओर बढ़ रहा हो तो इन दोषों की परवाह किए बग़ैर
भगवान हृदय से लगा लेते हैं किन्तु यदि अभिमान है तो भगवान दूरी बना लेते
हैं। भगवान जब अपने प्रिय के अंतःकरण में अभिमान देखते हैं तो पहले उसे
मिटाते हैं और फिर अपने से मिला लेते हैं। किंतु यदि कोई संसारी रजोगुणी
तमोगुणी जिसके अंतःकरण में प्रेम नहीं होता, तबभी भगवान अभिमान को मिटाते
हैं पर अपने से मिलाते नहीं है।
अपना निरीक्षण करना चाहिए कि यदि कोई हमारी
बात नहीं मानता तो हमें पीड़ा होती है क्या! जिस दिन बात न मानने पर
पीड़ा न हो तब जान जाना की भगवान की ओर, अध्यात्म की ओर बढ़ रहे हो। जिसका
चरित्र पवित्र होता है वही महात्मा, परमात्मा की उपाधि से अलंकृत होता है।
श्रीकृष्ण किसी भी कर्म के अपने को कर्ता नहीं मानते हैं। वे ना सफलता का
श्रेय लेते हैं, न असफलता का दोष किसी को देते हैं, दोनों परिस्थिति में
समता का व्यवहार करते हैं। भगवान कृष्ण ने, राम ने कभी किसी पर पहले प्रहार
नहीं किया है, कभी किसी को उकसाया नहीं है।किन्तु यदि उनपर किसी ने प्रहार
किया तो उसे छोड़ा भी नहीं है। यदि कोई सामने से प्रहार करे तो अपनी रक्षा
में प्रहार करना ही चाहिए। अपने जीवन की सभी सफलताओं को भगवान से जोड़
देना भक्त का लक्षण है। जीवात्मा अपने को छपाना चाहता है की सब हमको बड़ा
मानें। परमात्मा अपने को छुपाना चाहता है कि कोई हमको बड़ा नहीं अपना माने।
परमात्मा की ओर यात्रा करना हो तो परमात्मा सुंदर मन देखते हैं सुंदर शरीर
नहीं देखते हैं।
संसार मन नहीं देखता केवल तन देखता है। यदि संसार में
अपने मन की करने लगो तो किसी को पसंद ही नहीं होगा। परमात्मा की ओर बढ़ने
के लिए अपने मन का श्रृंगार करो, जिस दिन मन से सुंदर हो जाओगे उस दिन
परमात्मा तक पहुँच जाओगे। भगवान गोपियों को जानते थे कि वे धर्म की नहीं
परमधर्म की अधिकारिणी है, फिर भी उन्हें धर्म का उपदेश देते हैं। वे
गोपियों के माध्यम से दुनिया को यह जानना चाहते हैं कि अध्यात्म की ओर
बढ़ने की पहली सीढ़ी धर्म है फिर परमधर्म है। रास के वे ही अधिकारी है जो
जगत की ममता और शरीर की अहंता से ऊपर उठ चुके हैं। गोपियों ने प्रणय गीत के
माध्यम से पहले जगत खोया और गोपी गीत के माध्यम से अपने ‘मैं’ को खोया,
उसके बाद ही महारास हुआ है। श्रीराधा नाम सार का भी सार है। दुनिया पुकारती
हैं कृष्ण कृष्ण और कृष्ण पुकारते हैं श्रीराधे श्रीराधे! प्रेम की उन्मत
दशा में यह पुकारा जाता है।जो उन्नत स्वर्ग में पुकारा गया ईश्वर का स्वर
है उसी का नाम श्रीराधा है। श्रीराधा श्रीकृष्ण की अह्ललादिनी शक्ति हैं,
श्रीकृष्ण की आराधिका हैं श्रीराधा। भगवान की पहचान रूप से नहीं स्वरूप से
होती है। उनकी पहचान के कुछ अंतरंग लक्षण होते हैं, वे बहिरंग रूप(वेष) से
नहीं पहचाने जा सकते हैं | श्रीमद्भागवत कथा का भोजन प्रसादी भंडारे के
साथ समापन हुआ।
स्कूली बच्चों को महिला महासभा ने बांटे गर्म कपड़े.. दमोह। मध्य प्रदेश अग्रवाल महिला महासभा दमोह इकाई द्वारा बढ़ती ठंड को देखते हुए लक्ष्मण कुटी ग्राम स्थित शासकीय प्राइमरी स्कूल में 108 बच्चों को ठंड से बचने के लिए मोजे टोपे खाद्य सामग्री में फ्रूटी बिस्कुट चिप्स टॉफी आदि वितरित किए गए। प्रांतीय महामंत्री श्रीमती रमा अग्रवाल जी का यह कहना है कि हमारे आराध्य देव भगवान अग्रसेन जी के सिद्धांतों पर चलकर जरूरतमंदों की मदद करना चाहिए इस उद्देश्य से आज जरूरतमंद बच्चों को यह सामग्री वितरित की गई।
यहां
पदस्थ प्रिंसिपल आर. पी पटेल सर के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई थी कि
यहां के अधिकांश बच्चे इस सुविधा से वंचित है इसलिए यह स्कूल चुना गया। इस
कार्य में विशेष रूप से प्रांतीय महामंत्री रमा अग्रवाल जी संभागीय
उपाध्यक्ष अनुलेख अग्रवाल जी जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष किरण सुरेखा जी जिला
महामंत्री संगीता जी उप मंत्री अंजलि जी मीडिया प्रभारी निशा जी सह सचिव
वंदना जी वरिष्ठ सदस्य मंजू अंजलि अनंत अग्रवाल रिद्धि मंजू रमेश अग्रवाल
रोशनी दीप्ति ज्योति मंजुला अर्चना गीता आदि उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस निबंध प्रतियोगिता का आयोजन.. दमोह। शासकीय
कमला नेहरू महिला महाविद्यालय दमोह में आज राष्ट्रीय
मतदाता दिवस 2024 - 25 के अंतर्गत महाविद्यालय स्तर पर निबंध प्रतियोगिता
का आयोजन प्राचार्य डॉ. जी. पी .चौधरी के मार्गदर्शन में किया गया।निबंध
प्रतियोगिता में बड़ी संख्या में छात्राओं ने सहभागिता की l जिसमें प्रथम
स्थान आलिया बानो द्वितीय यशस्वी विश्वकर्मा एवं तृतीय स्थान मनु साहू ने
प्राप्त किया। कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारी डॉ. एनपी नायक,डॉ. अवधेश
कुमार जैन, डॉ.अपर्णा गोस्वामी, डॉ इंदु डॉ. शबाना परवीन की उपस्थिति रही।
बडी देवी इलेविन ने 40 रनों से जीता मैच..दमोह। बुंदेल खण्ड एन.पी.के. स्पोर्टस एकेडमी एवं कीडा भारती के तत्वाधान में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री पं.अटल बिहारी वाजपेयी जी की स्मृति में एवं स्व.श्री नर्मदा प्रसाद करोसिया जी की याद में राज्य स्तरीय टेनिस बाल क्रिकेट प्रतियोगिता अटल-सदभावना कप का 6वां दिन का पहला मैच महेश 11 और बड़ी देवी 11 के मध्य हुआ।
बडी देवी 11 मैच में 40 रनो से विजेय रहा। मैच ऑफ दा मैच पप्पू पटेल। मुख्य अतिथि विनय मोहन आयोजन कमल कसोरिया एवं पूरी आयोजित समिति के द्वारा प्रदान किया गया। प्रथम मैच के अतिथि संजीव खोशला, बबलू नामदेव, रमाकांत मिश्रा, अभिषेक चौरसिया आदि रहे। आशीष शर्मा, रमाकांत मिश्रा, मंयक वाधवा, पप्पेन्द्र राजपूत, अर्जुन, विकास, रोहित, करन, रोहित अठया, शदर यादव, आकाश, अनिल गोदरे, अनवर, वसीम, आकाश जैन, श्यामू पारासर, पूष्पेन्द्र राजपूत, सुजीत राजपूत, मान्टू, संजीव, विकास, शकील, सप्पू आदि का विशेष सहयोग रहा।
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