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ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं है जिसके हृदय में परमात्मा न रहता हो- स्वामी अखंडानंद सरस्वती.. नगरीय प्रशासन मंत्री को 7 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन.. चैक बाऊंस के आरोपी की अपील खारिज.. दूसरी पारी में 111 रन बनाकर आयरन 11 रही विजेता..

 ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं है जिसके हृदय में परमात्मा न रहता हो- स्वामी अखंडानंद सरस्वती

दमोह शहर के प्रोफेसर कॉलोनी मां सिद्धिदानी देवी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छटवे दिवस में स्वामी अखंडानंद सरस्वती जी के परम कृपा पात्र स्वामी श्री श्रवणनानद सरस्वती जी ने बताया कि देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न हो करके उन पर करुणा कृपा करके जो निर्गुण ब्रह्म है वह साकार रूप लेता है। किसी भी घटना को देखने के तीन आयाम है- आदि भौतिक, आदिदैविक और आध्यात्मिक व्यवहारोपयोगी चर्चा को हम आदिभौतिक चर्चा मानते हैं, भौतिक संसार में यह एक जीवन जीने की शैली प्रदान करता है। 
आध्यात्मिक दृष्टि हम लोगों के उपयोगी दृष्टि है, काम की है। ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं है जिसके हृदय में परमात्मा न रहता हो! वह परमात्मा जो हमें जीवन की शक्ति देता है, बल, बुद्धि, विवेक देता है, यदि वह हृदय में ही बना रहेगा तो काम का नहीं होगा। उसको प्रकट करने की एक विधा है जिसका नाम तप है।लोग परमात्मा को मानते तो है किंतु जानते नहीं हैं। भक्त परमात्मा को मानकर प्रेम करता है और ज्ञानी परमात्मा जानकर प्रेम करता है। परमात्मा का प्रेम श्रवण करने से आता है। जगत का प्रेम अधिक्तर आँखों के माध्यम से आता है भगवान की सेवा में आने वाले जितने पदार्थ है वे सब चिन्मय है। जो भक्त सायुज्य मुक्ति चाहता है अर्थात भगवान से मिल जाना चाहता है, वह कोई न कोई पदार्थ बनके भगवान की सेवा में आ जाता है।
श्रीकृष्ण को समझने के लिए गीता समझनी पड़ेगी।वे अर्जुन को भी कहते हैं केवल निमित्त मात्र बनो! इस रहस्य को जो समझेगा वह कृष्ण को समझ सकेगा वह शास्त्रों को समझ सकेगा। सेवा अपने मन की नहीं सेवा सेव्य की आज्ञा पालन करते हुए होनी चाहिए I जो आज्ञा पालन के लिए कार्य में प्रवेश करता है वह निश्चित उत्थान की ओर जाता है। भगवान की कृपा होगी इसकी प्रतीक्षा नहीं करनी है कृपा हो रही है यह चिंतन करना है। भगवान ने यह मनुष्य शरीर दिया, भारत वर्ष में, सनातन धर्मावलंबी आस्तिक परिवार में जन्म हुआ है इसमें उनकी कृपा का ही अनुशीलन करना चाहिए। जो हृदय वाणी शरीर से भगवान की शरण ग्रहण करता है उसके जीवन में मंगल ही मंगल होता है। इन्द्र की पूजा का निषेध करके गोवर्धन की पूजा करने का प्रस्ताव श्रीकृष्ण ने जब रखा तब सभी ने सहर्ष स्वीकार किया क्योंकि कृष्ण की बातें समयोपयोगी, समाजोपयोगी और जीवनोपयोगी थी | भगवान पूर्ण हैं। वे जो बनते हैं पूर्ण बनते हैं- बाल लीला करेंगे तो पूर्ण करेंगे। चंचल मन को अचल बनाना हो तो अचल श्रीकृष्ण से जोड़ दो! भगवान की आँखें नौका के आकार की हैं - जो उनकी आँखों में बस जाए अथवा जिसके मन में उनकी आँखें बस जाये - वह भवसागर से पार हो जाता है। जो भक्त की सेवा करता है भगवान उसे सुख देते हैं। जिस सुनन्दा ने यशोदा की सेवा की है उसे भगवान ने मुस्कुरा कर रखा। 
उज्ज्वल नीलमणि, रक्तिम् कपोल, शुक के समान नासिका - ऐसा सुंदर मुखारविन्द सुनन्दा बुआ6 ने पहली बार देखा। जो अमना है, जो वाणी का विषय नहीं है, उस कृष्ण के प्राकट्य की खबर कैसे दिया जाए? नौलखा हार माँगने के संकेत में है! अनुष्ठान धन है, उसे गुप्त रखना चाहिए। वेद के ज्ञान से परमात्मा का ज्ञान, भान, पहचान सब श्रुति से होती है। जो श्रुति (वेद) का उपासक होता है उसी के पास परमात्मा होता है। शाण्डिल्य ऋषि ने गुप्त रूप से अनुष्ठान करवाये हैं इसलिए आचार्य का नाम प्रकट नहीं हुआ है।  प्रेम में भाव की विशेषता है और संस्कार में विधि की विशेषता है। नन्द बाबा ने भाव पूर्वक ही नहीं, शास्त्र सम्मत संस्कार विधि करवाया। ब्राह्मणों को रत्न से जड़ित सप्त तिल के पहाड़ का दान सप्त द्वीप वती पृथ्वी के प्रतीक में दान दिया है।  महापुरुष जैसे गोविंद को देखते हैं वैसे ही गोपी का दर्शन करते हैं। गोपियों के आभूषण स्वयं श्रीकृष्ण ही बने हैं। जो श्रीकृष्ण के लिए हार गए हैं उन्हीं के गले में हार बनकर श्रीकृष्ण लटके हैं। गोपियों ने नन्द बाबा यशोदा ने दिन में चन्द्र का दर्शन करवाये हैं - गोपियाँ उनको भी आशीर्वाद देती हैं- जिस प्राची दिशा से प्रियतम आए हैं उसको वंदन। कौन है ऐसा जो हमारे श्रीकृष्ण के नूर पर बलिहार न हो।अध्यात्म में समता हो सकता है, व्यवहार में ममता मिट सकती है पर जैसा देवता होगा वैसी पूजा होनी चाहिए। जैसा सोचोगे वैसे मिलेगा- ब्रज सर्व समृद्धिमान बना है! लक्ष्मी क्रीड़ा कर रही है इसका अर्थ है आनंदित है। उत्सव का कोई विश्राम नहीं है जीवन भर चलता रहे!
जड़ का महत्त्व जिसको होता है वह जड़ से नष्ट हो जाता है। परमात्मा- आत्मा के अतिरिक्त सब जड़ है। जड़ संसार के चिंतन से हृदय कठोर बनता है, करुणा चली जाती है। परमात्मा के चिंतन से हृदय चेतन, कोमल होता है। विषय लंपट भी कृष्ण से लपट कर अपनी  विषय की प्यास बुझा सकें! कृष्ण चिंतन छोड़कर संसार का चिंतन करके दर दर के भिखारी बने हैं। प्रत्येक् वृत्ति में जो रमा हुआ रस है वही रास है। रस का विस्तार ही रास है। हृदय, वाणी और क्रिया में सामंजस्य हो। प्रत्येक् क्रिया में भगवान की कृपा का दर्शन वर्तमान काल में करें। जिससे प्यार है उनसे मिलने का प्रयास भी होना चाहिये। भगवती को नमस्कार है और उनसे नन्द कुमार माँगा है पति के रूप में माँगा। मंत्र जप कात्यायनी का करती हैं और चिंतन श्रीकृष्ण का करती हैं।सभी संप्रदायों के आचार्य भगवान हैं। जिस काल में लोगों कि जैसी मति है उस काल में उनकी मति अपने आप खींचने के लिए जो अनुकूल था उसी का प्रतिपादन किया गया है। अपने से बड़ों से बात रखनी कृष्ण से सिखों! बात रखो, दुराग्रह मत करो।
भारतीय सफाई मजदूर संघ ने नगरीय प्रशासन मंत्री को 7 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा.. दमोह। भारतीय सफाई मजदूर संघ के प्रदेश संयुक्त महामंत्री चंकी प्रभात कछवाहा ने बल्लभ भवन भोपाल पहुंचकर नगरीय प्रशासन विभाग मंत्री जी से मुलाकात की एवं सफाई कर्मचारियों की समस्याओं से अवगत कराया एवं साथ ही 7 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा।
जिसमे मस्टर कर्मचारियों का विनियमितकरण, संविदा कर्मचारियों के मानदेय में वृद्धी, स्थायी कर्मचारियों के नियमितीकरण शासन द्वारा भेजी जाने वाली चुंगी छति की राशि एवं अन्य मांगों के संबंध में माननीय मंत्री जी ने जल्द से जल्द समस्याओ के निराकरण हेतु आश्वासन दिया। समस्त भारतीय सफाई मजदूर संघ के पदाधिकारियों कि तरफ से प्रदेश संयुक्त महामंत्री जी को बहुत बहुत हार्दिक बधाई।

चैक बाऊंस के आरोपी की अपील खारिज.. दमोह। अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता द्वारा एक चैक बाउंस के मामले में आरोपी द्वारा प्रस्तुत अपील को विचारण न्यायालय के निर्णय मानते हुए निरस्त कर दी है अपील मामले में परिवादी की ओर से पैरवी मनीष चौबे अधिवक्ता द्वारा की गयी। मामला इस प्रकार है कि रवि नामदेव निवासी सिंधी केम्प द्वारा दिनंाक 03.05.2018 को अपने मित्र आरोपी गोविंद राठौर पिता तेजी राठौर निवासी बजरिया वार्ड नं.1 जिला दमोह को पारिवारिक कार्य हेतु 1,50,000 रूपये उधार दिये थे। आरोपी ने उधारी चुकाने के लिये परिवादी को चेक दिया था जो आरोपी के खाते में राशि नहीं होने से निरस्त बाउंस हो गया था। इस संबंध में परिवादी ने न्यायालय में केस पेश किया था। विचारण न्यायालय ने मामले को सिद्व पाते हुए आरोपी को 1 वर्ष के कारावास एवं 2,27,625 रूपये का दण्डादेश पारित किया था। इस निर्णय के विरूद्व आरोपी ने सत्र न्यायालय में अपील पेश की। अपील प्रकरण में अपर सत्र न्यायाधीश ने आरोपी द्वारा विचारण न्यायालय के निर्णय के विरूद्व उठाये गये तथ्यों को योग्य नहीं मानते हुए विचारण न्यायालय द्वारा दिये गये दण्डादेश को सही व उचित मानते हुए हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं मानकर आरोपी को 1 वर्ष के सश्रम कारावास सहित 2,27,625 को दी गयी सजा को बरकरार रखा है।
दूसरी पारी में 111 रन बनाकर आयरन 11 रही विजेता.. दमोह। बुदेलखंड एन.पी.के. तत्वधान में क्रीड़ा भारतीय के सहयोग से पूर्व प्रधानमंत्री पं. अटल बिहारी बाजपेयी जी की स्मृति में स्व.नर्मदा प्रसाद करोसिया जी याद में राज्य स्तर क्रिकेट प्रतियोगिता में जो दिनाक 5 जनवरी से प्रारंभ हुआ था जहां गुरूवार को 11 आयरन एवं एमपी 34 के मध्य खेला गया जिसमें एमपी 34 में 110 रन का लक्ष्य रखा दूसरी पारी में आयरन 11 ने 111 बनाकर विजेता रही।
जिसके अतिथि पंडित श्याम दवे रमाकांत मिश्रा आरती शर्मा संजीव घोसला जी दिलीप चौरसिया जी आयोजक मंडल श्री कमल कुमार करोसिया जी मयंक वाधवा आशीष शर्मा रमाकांत मिश्रा शकील अहमद आकाश चमन रोहित यशपाल करो यशपाल क्रोशिया पर आज क्रोशिया आदि की उपस्थिति रही संचालन अंडरस्टैंड के द्वारा किया गया एवं आभार आयोजन समिति द्वारा किया गया कार्यक्रम की संयोजक अमित बजाज गोलू सह संयोजक श्याम दुबे आयोजित मंडल कमल कुमार करोसिया की उपस्थिति रहीं।

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