केन्द्रीय और नवोदय विद्यालय के छात्रों और पेरेन्ट्स से मिले कलेक्टर
दमोह। कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने कहा आज पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय दमोह के छात्र छात्राएं और उनके अभिभावक यहाँ पर आए थे बड़ी ख़ुशी का विषय है पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय में और नवोदय विद्यालय दोनों में 100ः रिजल्ट आया है। कोई भी छात्र यहाँ पर अनुत्तीर्ण नहीं हुआ सभी बच्चे पास हुए है और कुल 15 छात्र ऐसे थे जिन्होंने मेरिट में काफी ऊंचा स्थान अर्जित किया है..
10वीं और 12वीं के सारे छात्र और उनके पेरेंट्स मुझसे मिलने के लिए आए थे और हमने उनका सम्मान किया है सभी छात्र दमोह की शान है जिले की शान बढ़ाई है इसके लिए उनके माता पिता को और उनके पूरे परिवार के प्रति हम बहुत बधाई और शुभकामनाएं देते हैं।
इन विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा के बल पर जो स्थान अर्जित किया हैए वाकई वो प्रेरणादायक है और इनमें से कई छात्र आईआईटी की तैयारी कर रहे हैं कुछ सीए की तैयारी कर रहे हैं कुछ साइकोलॉजी में जाना चाहते हैं कुछ सिविल सर्विस में जाना चाहते हैं। श्री कोचर ने कहा इन छात्रों को आश्वस्त किया है कि इनको किसी प्रकार की मदद की जरूरत होगी तो हर संभव मदद की जायेंगी।
कुछ अनकहा काव्य संग्रह का हुआ विमोचन.. दमोह।
प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस ज्ञानचंद श्रीवास्तव शासकीय स्नातकोत्तर
महाविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्राध्यापक डॉ इंद्रजीत कौर के काव्य
संग्रह कुछ अनकहा का विमोचन वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व निर्देशक
मुक्तिबोध सृजन पीठ सागर, डॉ श्याम सुंदर दुबे के मुख्य आतिथ्य,अध्यक्ष डॉ
रघुनंदन चिले (साहित्यकार) विशिष्ट अतिथि साहित्यकार नरेंद्र
दुबे और समीक्षक डॉ एस पी पचौरी साहित्यकार और पूर्व प्राचार्य शासकीय
महाविद्यालय जबेरा की उपस्थिति में एक निजी होटल में हुआ।
इस अवसर पर
रचनाकार डॉ इंद्रजीत कौर का साहित्यविदों द्वारा साल श्रीफल से सम्मान किया
गया। डॉ इंद्रजीत कौर भट्टी का यह दूसरा काव्य
संग्रह है जिसे उन्होंने अपने पिता दातार सिंह जिन का 13 मई को 90 वां
जन्मदिन एवं मां को समर्पित किया। रचनाकार का पहला काव्य संग्रह एक लम्हा
गुलाब आज से 14 साल पहले प्रकाशित हुआ था।राजनीति विज्ञान की प्राध्यापक डॉ
इन्दिरा जैन ने स्वागत भाषण और डॉ एस पी पचौरी ने काव्य संग्रह की विस्तृत
समीक्षा व्यक्त की। डॉ पचौरी ने कहा कि इस काव्य संग्रह में लगभग 100
कविताएं समायोजित है इन कविताओं में मानवीय संबंधों के उद्वेगो तथा प्रेम
विमर्श की मन: स्थितियों का रूपांतरण किया गया है इनमें प्रेम भावनाओं के
सकारात्मक एवं नकारात्मक परिणामों को अपने में समेटने की चेष्टा है। रचना,
लोक प्रेमभाव तथा प्रेम से इतर के बीच केंद्रित है इसलिए प्रेम की
मर्मान्तक पीड़ा का अन्वेषण करने वालों के लिए यह काव्य संग्रह कारगर होगा।
संग्रह की कविताओं में भाव प्रवण जीवन का यथार्थ तो है ही, व्यक्त और
अव्यक्त प्रेम का लेखा-जोखा भी है इन्हीं दायरों में कवयित्री का अंतस
डोलता प्रतीत होता है। डॉ
नरेंद्र दुबे ने कहा कि कविता लिखना दुष्कर कार्य है कविता से बड़ी समर्थ
किसी में नहीं, अक्षर का सही उपयोग कविता है शब्द की ताकत है। कविता की
ताकत के सामने बड़े-बड़े साम्राज्य टिक नहीं पाते। अच्छे शब्द भी कविता बन
जाते हैं भावनाओं में डूबी हुई कविता और कविता में डूबी हुई स्त्री सुंदर
लगती है। जब कविता में जिंदगी आती है और जिंदगी में कविता आती है तो समाज
को देखने का नजरिया बदल जाता है कविता निखारती है। मुख्य अतिथि डॉ श्याम सुंदर दुबे ने कहा कि कविता
बताती है कि यह संसार क्या है काव्य क्या है लिखने का श्रम बताती है आप जो
देख रहे हैं वह ईश्वर परम सत्ता की कविता को देख रहे है ना यह कमजोर पड़ती
है ना जर्जर पड़ती है। हम सब कविता के बीज है कविता में जी रहे हैं,आपको
कविता में विलय करना पड़ता है, कविता तब बनती है जब आप शब्दों में अपने को
ढाल कर उस ढले हुए द्रव्य को अपने शरीर की धमनियों के रक्त के साथ बहाते हो
तब वह लहू से आने वाली कविता है।यह किताब मेरे जीवन में कुछ ना कुछ जोड़
रही है मैं उन चीजों से गुजरना चाहता हूं जो मुझे कुछ और धनाढ्य बनाए इन
कविताओं से समृद्ध हुआ।सरल होना कठिन है, आप वृत्त बना सकते हैं, त्रिकोण
बना सकते हैं, पर एक सही लाइन खींचने आपसे संभव नहीं है सही और सरल होना
बहुत कठिन है।जो जितना सरल होता जाएगा उसके साथ ताकत और ऊर्जा बढ़ जाएगी यह
सरलता का प्रमाण है।
जीवन की सरलता दर्द से पैदा होती है।काव्य संग्रह में
सरल शब्दों में ढालने की कोशिश है। समूचे संकलन के भीतर से गुजरते जाइए तो
ऐसा लगेगा कि जैसे हम बहुत गहरी वेदना की नदी में डूबते हुए जा रहे हैं और
नदी के भीतर से ही कुछ ऐसे शीतल झरने फूटने लगे हैं कि उसे नदी की उत्तम
तासीर को उन झरनों ने जैसे हमें बहुत गहरे शीतलता में डुबो दिया है।तपने के
बाद रचना की ताकत आती है इनका दर्द कई तरीके से अभिव्यक्त होता है उनके
दर्द में वह चीज है जो जीवन को सतत संघर्षों से निकले हुए आसव में डुबाती
रहती है। ज्ञान का अंतिम सत्य प्रेम है ज्ञान का हिमालय पिघलता है तब प्रेम
की गंगा हृदय के अंदर प्रभावित होती है। यह प्रेम की कविता है आग के दरिया
से कम नहीं आग की दरिया में चलने के बाद भी आग की कविताओं के माध्यम से
बादलों को आमंत्रित किया है।यह कविता बिंब है प्रतीक है पूरी गाथा है। हम
सब एक आत्मतत्व की तरह दो भागों में संशलिष्ट है और ये संश्लिष्ट वैसे ही
है जैसे हमारी शिराओं में, धमनियों में, दूसरे का खून बहने की संभावना बनने
लगे, कविता इसी तरह की संभावनाओं की रचना को आमंत्रित करती है।अध्यक्ष
डॉ रघुनंदन चिले ने कहा कि विद्वान अपना समय पठन पाठन में बिताते
है।कविता, भाषा में आदमी होने की तमीज है।हृदय के स्पंदन का नाम है कविता।
इस
अवसर पर पी एम श्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ आलोक जैन एवं स्टाफ, के एन
कॉलेज के प्राध्यापक,सेवानिवृत प्राध्यापक, हिंदी लेखिका संघ की अध्यक्ष
पुष्पा चिले एवं सदस्य,देवेंद्र सिंह राजू सिंह (चाचा), गगनप्रीत कौर,मनोहर
काजल (साहित्यकार), प्रदीप अग्रवाल,डॉ एमके जैन,अजीत अवस्थी,रमेश
तिवारी,होटल संचालक राहुल राय एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।कार्यक्रम का
संचालन डॉ आलोक सोनवलकर और आभार डॉ कीर्तिकाम दुबे द्वारा किया गया।
समर्पण दिवस पर बाबा हरदेव सिंह महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित.. दमोह। संत निरंकारी मिशन द्वारा समर्पण दिवस के अवसर पर युगदृष्टा
बाबा हरदेव सिंह महाराज की पुण्य स्मृति में एक भावनात्मक वर्चुअल संत
समागम का आयोजन किया गया। सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज और निरंकारी राजपिता
के दिव्य सान्निध्य में आयोजित इस समागम में देश-विदेश से लाखों
श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन सहभागिता की, इसी श्रृंखला में संत निरंकारी मंडल की
ब्रांच निरंकारी सत्संग भवन में
विशाल सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें मैहर से आए हुए महात्मा नरेंद्र दुलानी के पावन सानिध्य में सत्संग संपन्न हुआ, इस
कार्यक्रम में जहां शहर के नागरिक लोग शामिल हुए वही ग्राम नोहटा, जबेरा,
भदौली से भी संत महात्मा उपस्थित हुए।समर्पण दिवस के अवसर पर सतगुरु
माता सुदीक्षा महाराज ने वर्चुअल सत्संग में श्रद्धालुओं को संबोधित किया
कि सतगुरु बाबा हरदेव सिंह महाराज का जीवन हर क्षण प्रेम, त्याग, सेवा और
शिक्षाओं से परिपूर्ण था। ऐसा ही भक्ति समर्पण वाला जीवन हम सभी का हो यह
समर्पण केवल शब्दों तक सीमित न रहे, बल्कि जीवन के व्यवहार में उतरे।
सतगुरु माता जी ने स्पष्ट किया कि सच्चा आदर और प्रेम केवल वाणी से नहीं,
बल्कि कर्मों से प्रकट होता है। यदि हम बाबा की शिक्षाओं को केवल सोशल
मीडिया तक सीमित रखते हैं, तो वह सच्चा समर्पण नहीं। समर्पण का वास्तविक
रूप तभी प्रकट होता है जब हम अपने भीतर झांकें और आत्म-विश्लेषण करें क्या
हम वास्तव में विनम्रता, क्षमा और प्रेम जैसे गुणों को जी रहे हैं।
उन्होंने अपने जीवन के हर पहलू पर साध संगत को महत्ता दी। समर्पण दिवस
केवल एक तिथि नहीं, बल्कि यह अवसर है यह सोचने का कि क्या हम वाकई अपने
जीवन को इन शिक्षाओं से जोड़ पाए हैं प्रेम, एकता, मानवता और विनम्रता को
अपने भीतर बसाकर ही हम इस दिवस को सार्थक बना सकते हैं। यही बाबा जी के
प्रति सच्चा आदर और समर्पण होगा। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने विचार, गीत,
कविता और भजनों के माध्यम से बाबा जी की करुणा, प्रेम और समर्पण की गूंज को
जीवंत किया।‘हरदेव वचनामृत’ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि वह आध्यात्मिक
अमृत है जो पाठक को बाबा जी की शिक्षाओं की गहराई से जोड़ता है। निःसंदेह,
बाबा हरदेव सिंह जी की दिव्य छवि हर श्रद्धालु के अंतर्मन में एक अमिट
स्मृति बन चुकी है। उनके अनगिनत उपकारों के लिए संपूर्ण निरंकारी संसार सदा
कृतज्ञ रहेगा। आज सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज, बाबा जी की शिक्षाओं को
आगे बढ़ाते हुए ब्रह्मज्ञान की ज्योति से मानवता को आलोकित कर रहे हैं।
केवट जयंती पर आज निकलेगी तेंदूखेड़ा में भव्य शोभायात्रा.. दमोह।
प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त केवट समाज के आराध्य देव भगवान केवटराज जी
महाराज की जयंती पर दमोह जिले के तेंदूखेड़ा के वार्ड क्रमांक 02 केवट
मुहल्ला से केवटराज जयंती के अवसर पर 15 मई 2025 को दोपहर 03 बजे से भव्य
शोभायात्रा निकाली जाएगी जो प्रमुख मार्गों से भव्य शोभायात्रा का भ्रमण
उपरांत रात्रि 09 बजे वार्ड क्रमांक 01 कन्याशाला रोड तेंदूखेड़ा में
संस्कृति कार्यक्रम , नृत्य संगीत समारोह के साथ प्रसाद वितरण किया जाएगा।
माझी समाज के मंडल अध्यक्ष रामकुमार केवट टेलर और माझी युवा समाज के
अध्यक्ष विशाल केवट ने केवट, रैकवार, माझी, बर्मन एवं समस्त स्वजातीय
बंधुओं से भव्य शोभायात्रा में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील
की गई।
0 Comments