ख़्वाजा अब्दुस्सलाम चिश्ती का वार्षिक उर्स मुबारक
दमोह।
महान सूफ़ी संत हज़रत ख़्वाजा अब्दुस्सलाम चिश्ती साहब का वार्षिक 35 वाँ चार
दिवसीय उर्स मुबारक स्थानीय पुराना बाज़ार नंबर 02 चिश्ती नगर दमोह में
मनाया गया जिसमें देश के अनेक जिलों राज्यों से ख़्वाजा साहब के मानने वाले
अकीदतमंद लोग शामिल हुए इस मौके पर देश के प्रसिद्ध क़व्वाल जयपुर राजस्थान
से हाजी टिम्मू गुलफ़ाम व पार्टी ने सूफियाना कलाम सुनाये वहीं मेहमान
मौलाना के अलावा मौलाना तहसीन रज़ा साहब और हाफ़िज़ ख़लील रज़ा मुनव्वर रज़ा साहब
ने इस्लाही तक़रीर की और बुजुर्गों सूफ़ी संतों की जीवनी पर प्रकाश डाला
वहीं स्थानीय शायरों ने ख्वाजा साहब की शान में कलाम पढ़े। उर्स के पहले दिन
परचम कुशाई ,नात मनकबत का मुशायरा कार्यक्रम हुआ दूसरे दिन मेहमान मौलाना
साहब की तक़रीर प्रोग्राम उर्स के तीसरे दिन चादर जुलूस तक़रीर कार्यक्रम और
देर रात तक महफ़िले सिमा कव्वालियों का दौर चला..
उर्स के आखरी कुल शरीफ की
फ़ातिहा के साथ उर्स का समापन हुआ । यह सारे कार्यक्रम उर्स कमेटी अंजुमन
चिश्तिया कमेटी द्वारा आयोजित किये गए उर्स कमेटी ने जिला प्रशासन पुलिस
प्रशासन और नगरपालिका प्रशासन का आभार व्यक्त किया उर्स कमेटी सदस्य
इम्तियाज़ चिश्ती ने बताया उर्से सलामी में ख़ास बात यह देखी गई कि यहाँ
प्रतिवर्ष हज़रत ख़्वाजा अब्दुस्सलाम चिश्ती के उर्से पाक में हर धर्म जाती
के लोग शामिल हुए । कार्यक्रम लगातार चार दिनों तक चला उर्स के समापन अवसर
पर कुल शरीफ़ की फ़ातिहा के दौरान मुल्क में अमन चैन के लिए सामुहिक दुआ की
गई ।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर नैयर दमोही जी की वर्षी पर हुआ नातिया मुशायरा.. देश
के प्रसिद्ध अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर नैयर दमोही जी की वर्षी के
अवसर पर नातिया मुशायरा का आयोजन हुआ जिंसमें स्थानीय शायरों ने शिरकत की
शायर नैयर दमोही ने ऊर्दू शायरी के क्षेत्र में देश के साथ साथ मध्यप्रदेश
और जिला दमोह का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रौशन किया है दमोह की पहचान नैयर
दमोही के नाम से भी होती रही है यह भी एक संयोग है कि शायर नैयर दमोही जी
के गुरु पीरो मुर्शिद ख़्वाजा अब्दुस्सलाम चिश्ती साहब के उर्स के समापन के
दूसरे ही दिन नैय्यर दमोही जी की वर्षी का दिन होता है जिसमें स्थानीय
शायरों ने उन्हें इसाले सबाब नात शरीफ की महफ़िल में हिस्सा लिया और नातिया
कलाम पढ़े। नैयर साहब की शायरी उनके गुरु पीरो मुर्शिद के लिए ही समर्पित
रही और वह ख़्वाजा अब्दुस्सलाम चिश्ती साहब के पसंदीदा शायर थे जिनका इंतक़ाल
उनके पीरो मुर्शिद के उर्स के समापन अवसर पर ही हुआ था नैयर दमोही जी की
वसीयत अनुसार उनके गुरु ख़्वाजा अब्दुस्सलाम चिश्ती के दरबार के पास ही
उन्हें सुपुर्दे ख़ाक किया गया था और यह भी एक संजोग है जब उनके गुरु पीरो
मुर्शिद का उर्स का आख़री दिन होता है उसी दिन से नैयर दमोही साहब की स्मृति
वर्षी के अवसर पर नातिया मुशायरा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है ।
0 Comments