कुण्डलपुर में सिंह द्वार प्रथम शिला स्थापना संपन्न
दमोह। सुप्रसिद्ध क्षेत्र कुण्डलगिरी कुण्डलपुर में शरद पूर्णिमा महापर्व पर जग उद्धारक युगश्रेष्ठ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज, विद्या शिरोमणि आचार्य श्री समयसागर जी महाराज, जेष्ठ श्रेष्ठ गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के अवतरण दिवस के मंगल अवसर पर सिंहद्वार प्रथम शिला स्थापना का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
इस अवसर पर महा समाधिधारक
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं विद्यानिधि आचार्य श्री समयसागर जी
महाराज के मंगल आशीर्वाद से प्रातः भक्तामर महामंडल विधान, पूज्य बड़े बाबा
का अभिषेक, शांति धारा, रिद्धि कलश, पूजन ,आचार्य छत्तीसी विधान का आयोजन
हुआ ।वाणीभूषण प्रतिष्ठाचार्य बा. ब्र. विनय भैया जी सम्राट बंडा के कुशल
निर्देशन में प्रातः पूज्य बड़े बाबा मंदिर प्रांगण में सहस्त्रकूट जिनालय
के समीप अद्वितीय ,अद्भुत भव्य नक्काशीदार पाषाण द्वारा निर्मित होने जा
रहे विशाल सिंहद्वार की प्रथम शिला मध्य में स्थापित की गई जिसे स्थापित
करने का सौभाग्य श्रेष्ठी श्री राजा भैया सूरत परिवार को प्राप्त हुआ इसके
साथ पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण चारों दिशाओं में शिला स्थापित करने का
सौभाग्य श्रेष्ठी तरुण सराफ दमोह , उपाध्यक्ष डॉ रमेश बजाज दमोह,
ब्रह्मचारिणी श्रद्धा दीदी अशोक सराफ पटेरा, ब्रह्मचारिणी किरण दीदी
ज्ञानचंद जी सागर एवं कुंडलपुर को प्राप्त हुआ।
कलश स्थापित करने का
सौभाग्य ब्रह्मचारिणी नंदिनी दीदी कुनलिनी राखी सौरभ जैन परिवार गुना
,चक्रेश कुमार अर्चना अक्षय आदर्श नैंसी सराफ परिवार दमोह, धार्मिक आयोजन
मंत्री अजय जैन निरमा जबलपुर, महामंत्री इंजी. आरके जैन दमोह, सुभाष मीना
पवन बमोरया परिवार दमोह को प्राप्त हुआ सिंहद्वार स्वास्तिक का सौभाग्य
ब्रह्मचारिणी वंदना दीदी कुंडलपुर ने प्राप्त किया। इस अवसर पर शांतिधारा
करने का सौभाग्य कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष चंद्रकुमार जी सराफ,
उपाध्यक्ष रमेश जी गोयल पथरिया को प्राप्त हुआ ।बड़ी संख्या में उपस्थित
श्रद्धालु भक्तों के बीच ब्रह्मचारी विनय भैया बंडा ने विधि विधान से
स्थापना पूजन कार्यक्रम संपन्न कराया। पूज्य बड़े बाबा का अभिषेक शांतिधारा
रिद्धि कलश आदि करने का सौभाग्य वीरेंद्र विवेक विपिन मोक्ष जैन चंदेरी
,गौरव जैनेंद्र पलक उमेश जैन कानपुर ,ऋषभ जैन परिवार विजयनगर असम ,आदित्य
सेठी कोटा राजस्थान, जितेंद्र सुरेश सुनील जैन टीकमगढ़ ,कमलेश रोबिन अमर्ष
जबलपुर, अनुराग साक्षी कुशाग्र हैदराबाद, स्वतंत्र प्रभा आशीष अंकित परिवार
शाहपुरा दमोह को प्राप्त हुआ। प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी विनय भैया जी ने
इस अवसर पर कहा बड़े बाबा छोटे बाबा की कला निराली है। आज भी किसी को नहीं
मालूम बड़े बाबा के दर्शन करने प्रतिदिन गुरुदेव आते हैं वह दर्शन करके कब
चले जाते हैं। ऐसी अजर अमर जोड़ी में गुरुदेव की परिकल्पना के अनुरूप बड़े
बाबा के जिनालय को आकार तो दे दिया परंतु उनके आंगन को सजाना बाकी है। आंगन
सजाने के लिए हमें मुख्य द्वार चाहिए जिससे प्रवेश हो सके, उसके बाद पूरा
परिक्रमा पथ से लेकर पूरे जिनालय की सजावट हो प्रवेश द्वार बनते ही मंदिर
के चारों तरफ गुरुदेव की परिकल्पना के अनुरूप सजाना है। शरद पूर्णिमा यदि
सोना है तो उसमें सुहाग और जुड़ गया जब इस धरती के देवता गुरुदेव की जन्म
तिथि आज ही के दिन सुयोग बना इस घर में एक चांद और शरद पूर्णिमा पर निकला
जो वर्तमान में आचार्य पद पर बड़े बाबा के दरबार में आसीन हुए और हम सबको
सहारा दे रहे हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के
पदाधिकारी सदस्यों एवं पूर्व कमेटी के सदस्यों की उपस्थिति रही। इस अद्भुत
दृश्य के साक्षी बनने विभिन्न अंचलों से श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।इस
अवसर पर क्षेत्र पर पधारे समस्त धर्मावलंबियों के भोजन की व्यवस्था
कुण्डलपुर क्षेत्र कमेटी द्वारा की गई । दोपहर में मिष्ठान वितरण किया गया।
सायंकाल भक्तामर दीप अर्चना एवं पूज्य बड़े बाबा तथा पूज्य आचार्य श्री की
संगीतमय महा आरती हुई।
दमोह नन्हे मंदिर में 36 शांति धारा,आचार्य छत्तीसी विधान..दामू नगर में आचार्य भगवान श्री विद्यासागर जी के जन्म दिवस के अवसर पर विविध आयोजन किए गए। श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर में ब्रह्मचारी स्वतंत्र भैया के निर्देशन में आचार्य छतीसी विधान का आयोजन किया गया। इसके पूर्व भक्ति भाव के साथ 36 शांति धारा संपन्न हुई। नगर के सभी जैन मंदिरों में नित्य पूजन अभिषेक के साथ आचार्य श्री की पूजन संपन्न हुई। हृदय स्थल घंटाघर पर जैन नवयुवक मित्र मंडल द्वारा सभी को मिष्ठान एवं खीर पुरी का वितरण किया गया।
बांदकपुर में आचार्य श्री का जन्म जयंती समारोह मनाया.. दमोह।
बुंदेलखंड की पावन धरती बांदकपुर धाम में शरद पूर्णिमा के शुभ दिन पर
आचार्य द्वाय श्री 108 समाधिस्ताचार्य विद्यासागर जी महाराज एवं वर्तमान
आचार्य समय सागर जी महाराज का जन्म दिवस बड़े ही धूमधाम के साथ स्थानीय
दिगंबर जैन मंदिर में मनाया गया .. इस अवसर पर आचार्य गुरुवारों की संगीतमय
पूजन सकल दिगंबर जैन समाज बांदकपुर एवं आचार्य विद्यासागर पाठशाला के नन्हे
मुन्ने बच्चों एवं पाठशाला की दीदीयो के द्वारा की गई पूजा के उपरांत नगर
में भव्य शोभायात्रा निकाली गई जिसमें आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
एवं आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के छाया चित्रों को पालकी में सजाकर
समाज के पुरुष एवं महिलाएं कंधों पर लेकर पंक्तिबद्ध होकर नगर भ्रमण को
निकले.. समाज के नए युवक एवं बच्चे डीजे की धुनौ पर पर नृत्य करते हुए चल रहे
थे आचार्य श्री की दीक्षा देते हुए जीवंत झांकी सजाई गई संध्याकालीन बेला
में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए महा आरती के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की
शुरुआत हुई इसके बाद आचार्य श्री के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पलो को याद
किया गया।
सिंग्रामपुर मे आचार्य श्री का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया.. दमोह।
आचार्य श्री भगवान का अवतरण दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया इस दौरान
विविध धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए शरद पूर्णिमा को जन्मे आचार्य श्री
विद्यासागर महाराज जी भगवान का 79 वां जन्मोत्सव सिंग्रामपुर में बड़े ही
भक्ति उत्साह में धूमधाम से मनाया गया
सुबह 6 बजे
प्रभात फेरी निकाली गई जो नया जैन मंदिर से प्रारंभ होकर मुख्य बाजार बड़ा
मंदिर, पांडुक शिला नगर भ्रमण करते हुए मंदिर जी में समापन किया गया मंदिर
जी में सुबह अभिषेक शांति धारा आचार्य छत्तीसी विधान नवाचार 108 समय सागर
महराज जी की पूजन कि गई। इस अवसर पुरुष महिलाओं
बच्चों द्वारा विधान भव्यता और दिव्यता के साथ गाजे बाजे के साथ मंदिर
में संपन्न किया गया तत्पश्चात मंदिर में प्रसाद वितरण किया गया शाम को
संध्या आरती के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए गए
जिसकी तैयारी चल रही है।
जबेरा के दोनी में खुदाई के दौरान हजारों वर्ष पुरानी मूर्तियां मिली.. दमोह
जिले की जबेरा विधानसभा अंतर्गत ऊपर पहाड़ दोनी में स्थानीय विधायक
धर्मेंद्र सिंह लोधी, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), संस्कृति, पर्यटन,
धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के मंत्री के निर्देशानुसार में संचालनालय
पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय भोपाल की आयुक्त श्रीमती उर्मिला
शुक्ला के निर्देशन में ग्राम दोनी जिला दमोह में मढ़ा क्रमांक 1 का
पुरातत्वीय प्रविधि से मलबा सफाई का कार्य पी. सी. महोबिया, उपसंचालक
ग्वालियर द्वारा किया जा रहा है। प्रभारी उपयंत्री एवं साइट इंचार्ज सपन
साहू द्वारा अवगत कराया गया कि उक्त कार्य के दौरान कल्चुरी कालीन स्थापत्य
कला के विशिष्ट पुरावशेष प्रकाश में आए हैं। इस टीले से ब्रह्म, विष्णु,
शिव, उमा - महेश्वर, पार्वती, अर्धनरीश्वर, वायुदेव, गज अप्सरा, एवं नायिका
जैसी विशिष्ट एवं उत्कृष्ट प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं। प्राप्त सभी
पुरावशेष लगभग 10वीं -11वीं शताब्दी में निर्मित शिव मंदिर के प्रतीत होते
हैं।
शोभायात्रा निकालकर महराजा दमघोष जयंती मनाई.. दमोह।
चंद्रवंशीय क्षत्रिय चंदेल घोषी समाज के आदिपुरूष चेदी नरेश महाराजा दमघोष
जी की जयंती तारादेही चौरई में उत्साह एवं भव्यता के साथ मनाई गई।
तारादेही चौरई में महाराजा दमघोष जी के चित्र का पूजन एवं माल्यापर्ण किया
गया। तदउपरांत चौरई से भव्य शोभायात्रा निकाली गई जो तारादेही रोड से होकर
तारादेही तिराहा, बस स्टेंड, राम मंदिर, खकरिया रोड होते हुए आरूषि विधालय
में सपन्न हुई। शोभायात्रा घोषी समाज के बच्चे वरिष्ठ युवा सभी सम्मलित
रहें। शोभायात्रा का जगह जगह स्वागत किया गया। शोभा यात्रा पश्चात् सभा स्थल
में अतिथियों ने अपने विचार रखे। वक्ताओं ने बताया कि महाराजा दमघोष
महाभारत काल के परम प्रतापी नरेश थे जो चंद्रवंशीय क्षत्रिय थे महाराजा
दमघोष हस्तिनपुर के कुरू वंशीय सम्राट पांडू के साडू भाई थे। महाराजा दमघोष
का विवाह वासुदेव की बहन एवं श्रीकृष्ण की बुआ रानी श्रुतश्रवा से हुआ
जिनसे परम प्रतापी पुत्र महाराजा शिशुपाल का जन्म हुआ था। महाराजा दमघोष का
राज्य पुरातन चेदी जनपद वर्तमान बुंदेलखण्ड में विस्तृत था। कार्यक्रम में
घोषी चंदेल समाज के प्रतिभावान छात्र छात्राओ का स्मृति चिन्ह प्रदान कर
सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अतिथि पूर्व मंत्री दशरथ सिंह लोधी, अमोल
सिंह, बद्री ठाकुर, प्रताप सिंह, विपिन सिंह, हल्ले सिंह, लल्ला सिंह
चौधरी, शोभाराम सिंह, मुकदूम विजय सिंह, पप्पू ठाकुर, बबलू ठाकुर, राजकुमार
सिंह, बंटू सिंह, जिनेश सिंह, शैलेन्द्र सिंह, चंदेल शेलू नेता, विशाल,
अमर सिंह, मानक सिंह, नंदू घोषी, बडडू सिंह, मिंटू सिंह, सतेन्द्र सिंह,
मुकेश ठाकुर, बकील साहब, जितेन्द्र सिंह, रवि सिंह, इंद्राज सिंह घोषी,
पप्पू घोषी, बृजबिहारी घोषी, ब्रजराज घोष, ऋसिक घोषी, शरद घोषी सहित
ज नप्रतिनिधिगण एवं आसपास क्षेत्र के समस्त घोषी चंदेल समाज के लोगों की
उपस्थिति रहीं।
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